5 Easy Facts About baglamukhi shabhar mantra Described
5 Easy Facts About baglamukhi shabhar mantra Described
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हेमाभाङ्ग-रुचिं शशाङ्क-मुकुटां स्रक्-चम्पक-स्र्ग -युताम्!
Baglamukhi Mantra is shown being an enraged goddess wielding a club in her appropriate hand, killing a demon and ripping his tongue out along with her still left. She bestows the ability of bold and authoritative language when reciting her mantra.
चलत्-कनक-कुण्डलोल्लासित-चारु-गण्ड-स्थलां।
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बिम्बोष्ठीं चारु-वदनां, सम-पीन-पयोधराम् ।
गम्भीरां च मदोन्मत्तां, स्वर्ण-कान्ति-सम-प्रभाम् । चतुर्भुजां त्रि-नयनां, कमलासन-संस्थिताम् ।।
यदि आप निरपराधी हैं और click here शत्रु आप पर लगातार तंत्र का दुरूपयोग कर आप को परेशान कर रहा है, तब माँ के दंड विधान प्रयोग करने में विलम्ब न करें, जब तक दुष्ट को उसकी दुष्टता का दंड नहीं मिल जाता, वह अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करता ही रहता है।
चतुर्भुजां त्रि-नयनां, कमलासन-संस्थिताम् । त्रिशूलं पान-पात्रं च, गदां जिह्वां च विभ्रतीम् ।।
पीताम्बर-धरां सान्द्रां, पूर्ण-चन्द्र-निभाननाम् ।
“ૐ ह्रीं बगलामुखी सर्वं ध्रुवं वाचं मुखं पदं स्तम्भया जीवाहं किलोक् किलोक बनसाय ह्रीं ॐ स्वाहा”
ऋषि श्रीनारद द्वारा उपासिता श्रीबगला-मुखी
शुद्ध-स्वर्ण-निभां रामां, पीतेन्दु-खण्ड-शेखराम् । पीत-गन्धानुलिप्ताङ्गीं, पीत-रत्न-विभूषणाम् ।।१
ॐ बगलामुख्यै च विद्महे स्तम्भिन्यै च धीमहि तन्नो बागला प्रचोदयात